Mysterious mansion and Anjali's spirit | Bhutiya Haveli Horror Story | Nices Fm

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 **भूतिया हवेली का रहस्य** राकेश और उसकी पत्नी रीमा ने हाल ही में शहर के बाहर एक पुरानी, बड़ी हवेली खरीदी थी। यह हवेली बहुत समय से खाली पड़ी थी, और इसके चारों ओर खौफनाक कहानियां फैली हुई थीं। परंतु, राकेश और रीमा ने इन कहानियों पर ध्यान नहीं दिया और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत के लिए हवेली में चले आए। पहली रात हवेली में सब कुछ सामान्य था। राकेश और रीमा ने हवेली की सफाई की और उसे अपने रहने लायक बनाया। लेकिन जैसे-जैसे रात गहराती गई, हवेली के अंदर अजीब घटनाएं होने लगीं। आधी रात के करीब, रीमा ने अचानक दरवाजे पर धीमी दस्तक सुनी। वह उठी और दरवाजा खोलने गई, पर बाहर कोई नहीं था। उसने इसे नजरअंदाज कर दिया और वापस सोने चली गई। अगले दिन, राकेश ने हवेली के बगीचे में कुछ अजीब चीजें देखीं। वहां एक पुराना कुआं था, जिसके पास किसी ने ताजे फूल रखे थे। राकेश ने सोचा कि शायद ये आसपास के बच्चों की शरारत होगी। उसने फूलों को हटाया और इस घटना को भूलने की कोशिश की। लेकिन रीमा को इस बात का पता चला और वह चिंतित हो गई। तीसरी रात, राकेश ने अपनी नींद में किसी के रोने की आवाज सुनी। उसने उठकर रीमा को देखा, लेकिन वह ...

Hanuman Chalisa The Powerful Hymn of Devotion and Strength Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा


 Hanuman Chalisa (हनुमान चालीसा)


श्री हनुमान चालीसा


दोहा:

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥


बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥


चौपाई:

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥


राम दूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥


महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी॥


कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुण्डल कुंचित केसा॥


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

काँधे मूँज जनेऊ साजै॥


संकर सुवन केसरी नन्दन।

तेज प्रताप महा जग बन्दन॥


विद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर॥


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया॥


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा॥


भीम रूप धरि असुर सँहारे।

रामचन्द्र के काज सँवारे॥


लाय सजीवन लखन जियाए।

श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥


रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥


सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा॥


जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा॥


तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।

लंकेश्वर भए सब जग जाना॥


जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।

जलधि लाँघि गये अचरज नाही॥


दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥


राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥


सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डरना॥


आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हाँक ते काँपै॥


भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै॥


नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरन्तर हनुमत बीरा॥


संकट ते हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥


सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा॥


और मनोरथ जो कोई लावै।

सोई अमित जीवन फल पावै॥


चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा॥


साधु सन्त के तुम रखवारे।

असुर निकन्दन राम दुलारे॥


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता॥


राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा॥


तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम जनम के दुख बिसरावै॥


अन्त काल रघुपति पुर जाई।

जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥


और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेई सर्व सुख करई॥


संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥


जय जय जय हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरु देव की नाईं॥


जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बन्दि महा सुख होई॥


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा॥


तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥


दोहा:

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥


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हनुमान चालीसा का पाठ संकटों को दूर करने और समृद्धि लाने के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है।






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